जाते जाते कर गया करोडों का हेरफेर और जन-धन को चूना की तैयारी?
नमामि गंगे की गंगा में शासन से प्रशासन सहित वर्तमान एक भाजपा विधायक भी लगा रहा गोता
भाजपा के ही कैबिनेट मंत्री को 2019 में गाली देने वाले की जमीन कैसे बनी निराली : भ्रमित व गलत जानकारी कराई गयी उपलब्ध?
सपेराबस्ती मोथरोवाला की निजी भूमि खरीद प्रकरण में गोलमाल का होगा खुलासा व नये सिरे से कार्यवाही!
क्या जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति करेगी निष्पक्ष कार्यवाही या फिर उसी पर लगायेगीं मुहर!
देहरादून। घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारी नागों की इस धाकड़ धामी के राज्य में पौ-बारह होने का एक मामला में प्रकाश में आया है जिसमें एक भाजपा विधायक सहित पूरा जिला प्रशासन, शासन, नमामि गंगे परियोजना अधिकारी सहित पेयजल संसाधन विभाग के अधिकारी केन्द्र की 79 करोड़ की इस महत्वपूर्ण परियोजना को शुरूआत से ही पलीता लगाने में लगे हुए हैं।
उक्त परियोजना में मुख्य लाभ उठाने वाला एक भाजपा का ऐसा पूर्व राज्यमंत्री भी है जिसे भाजपा के ही एक कैबिनेट मंत्री व पूर्व विधान सभाध्यक्ष को खुले आम गालियां देते हुए 2019 में देखा व सुना गया था।
ज्ञात हो कि उक्त महाशय की सपेरा बस्ती के निकट मोथरोवाला में अमृत विहार कालोनी में लगभग 4500 वर्ग मी. व सड़क के दूसरी ओर 497 मीटर अर्थात कुल 5019 व.मी. कृषि भूमि आवासीय मकानों व स्कूल से घिरी हुई बताई जा रही है। उक्त परियोजना के अनुसार भूमि मानकों के विरुद्ध अनुपयुक्त व अयोग्य है फिर भी विधायक की धमक एवं चांदी की चमक में अन्य निजी भूमि धारकों के प्रस्तावों के बावजूद ऐन केन प्रकरेण इसी पूर्व राज्यमंत्री की भूमि को सही ठहराकर मनचाही अधिक दरों पर निविदा के नियमों के विपरीत जाकर खुले आम उल्लंघन करते हुए आठ करोड़ रुपये में खरीदने की तैयारी हो गयी है जबकि किसी अन्य निजी भूमि के स्वामी की प्रत्येक मापदंडों पर खरी उतर चुकी एवं अनेकों परीक्षणों में खरी उतर चुकी उचित पाई गयी भूमि के प्रस्ताव को नजरंदाज करते हुए जन-धन की बर्बादी करने पर तुले हुए हैं। क्योंकि इसमें इन तथाकथित भ्रष्ट अधिकारियों की दाल नहीं गल पा रही थी जबकि उसकी दरें भी कम थी। यही नहीं निविदा के नियमों की भी धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और दरों की गोपनीयता भंग करते हुये संदिग्ध कार्यवाही की जा रही है।
मजेदार तथ्य यहां यह है कि इस 15 एमएलडी के इस सीबर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना हेतु क्रय की जाने वाली निजी भूमि से सूखी नदी तक जाने का कोई रास्ता भी उक्त चहेते के पास नहीं है। बताया तो यह भी जा रहा है कि अभी 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले उत्तराखंड पेय जल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता के द्वारा पुरानी तिथियों में हेराफेरी कर गुमराह व भ्रमित करते हुये सारा ताना-बाना बुन दिया गया है तथा चुपचाप प्रस्ताव पास करके भेजा जा चुका है। इस सांठ-गांठ और गोलमाल के पीछे जाते जाते चांदी की थाली व बहती गंगा में हाथ धोकर जाने वाले उक्त सेवानिवृत्त अधिशासी अभियन्ता वाले न्यारे करके परियोजना निदेशक और शासन को कटघरे में खड़ा करके जा चुके है। उक्त सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य कर्ताधर्ता अधिकारी द्वारा आनन-फानन में ही सारे नियमों और कानूनों को बलाएं ताक रख दिया गया। यही नहीं राजस्व विभाग व जिला प्रशासन के स्तर पर भी स्पष्ट आंकड़े व आये सभी प्रस्ताव पारदर्शिता के साथ न रखकर पक्षपाती गुल खिलाए गये और जिला अधिकारी को भी भ्रमित किया जा चुका है। यही नहीं नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स अधिकारियों व शासन में बैठे ज्ञानी सचिव व अपर सचिव को भी एकपक्षीय जानकारियां उपलब्ध कराकर कुछ स्वीकृतियां एवं अनुमतियां व ली जा चुकी हैं ताकि इस घोटाले व गोलमाल को अमलीजामा पहनाया जा सके।
क्या इस संदिग्ध और आपत्तिजनक कार्यवाही पर शासन और नमामि गंगे परियोजना निदेशक विराम लगायेंगे?
देखना यहां गौर तलव होगा कि क्या डबल इंजन वाली धाकड़ धामी सरकार केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में जन-धन की हो रही वर्बादी से बचायेगी और घोटालेबाजों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करके योजना को पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष नियमानुसार प्रक्रिया अपनाये जाने की दिशा में कदम उठायेंगी या फिर….!