धामी की धाकड़ सरकार करेगी धाकड़ कार्यवाही या फिर दिखावे की हवाहवाई?
सात साल पहले किये गये भंडाफोड़ की खबर पर क्या अब भी नहीं होगी एफआईआर?
फर्जी कागजों पर अवार्ड हुआ था करोंड़ों का टावर लगाने के कान्ट्रैक्ट में फर्जीवाड़ा!
सम्पादक को पांच-पाच करोड़ के डिफर्मेशन के नोटिस देकर किया गया था धमकाने का प्रयास!
लांखों की जगह करोड़ो की फर्जी बैलेंस शीट, बैंक गारंटी सहित बेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कम्पनी लिमिटेड का भी लगाया गया था फर्जी परफार्मेंस सार्टिफिकेट?
…क्यूंकि साहब की थी अप्रत्यक्ष पार्टनरशिप तभी तो हुआ कारनामा और सवा करोड़ के टैण्डर का काम, अयोग्य बिडर के नाम!
तब तो थी साहब की दादागिरी, अब क्या होगा इस घोटालेबाज एमडी का?
(पोलखोल तहलका की भ्रष्टाचार पर पैनी नजर की मुहिम रंग लायी!)
देहरादून। अपराध, अपराध ही होता है जिसे दबाया तो जा सकता है परंतु मिटाने के लिए जज्बा और जुनून व ईमानदारी चाहिए होता है जो अब भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबी इन सरकारों और अफसरों में अब कहां! अब तो भाषणों के बदले मिलता और खोखले दावों में ही तैरता नजर आता है भ्रष्टाचार! और इस दौड़ में अगर कोई प्रदेश सबसे आगे है तो वह है उत्तराखंड! क्योंकि यहां भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों को सजा के बदले मिलता देखा जा सकता है उतना ही बड़ा अहोदा और इनाम व बना लिया जाता है उन्हें अपनी दुधारू गाय! तभी तो “समाचार वनाम लाटरी इनकी”, की कहावत सही दिखाई पड़ रही है। हमारी खबरों का यह कोई ऐसा पहला मामला नहीं है जो शत-प्रतिशत सही साबित हुआ हो। परंतु यहाँ भी बड़ी देर कर दी सनम आते आते! कोई बात नहीं देर ही सही, जब जाग जाओ तभी सबेरा है!
ऐसा ही यह एक ऐसा मामला अब सात साल बाद उजागर हुआ है जिसमें फर्जीवाड़ा तो तभी हमारी खबर से सावित हो गया था परन्तु जब कार्यवाही करने वाले ही सम्मिलित हों तो फिर एक्शन शून्य होगा या फिर ढक्कन से ही मख्खन का फार्मूला अपनाने की फिराक में ही होंगे ये भ्रष्ट जिम्मेदार अधिकारी व सरकारी नुमाईन्दे?
ज्ञात हो कि हमारे सहयोगी समाचारपत्र “तीसरी आंख का तहलका” के द्वारा विगत सात वर्ष पूर्व “टावर लगाने वाली कम्पनी के कमाल” एवं “….समाचार पत्र को ब्लैकमेल करने व धमकी का प्रयास” शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर संबन्धित उक्त आशीष ट्रांसपावर कम्पनी के द्वारा किये गये फर्जीवाड़े व पिटकुल चीफ (सी एण्ड पी) के कारनामों के सम्बंध में घोटाले का खुलासा करते हुये समाचार प्रकाशित किया गया था जिससे वौखलाई उक्त कांट्रैक्टर कम्पनी ने 5 करोड़ की मानहानि का नोटिस देकर समाचार पत्र को धमकाने व ब्लैकमेल करने का असफल प्रयास किया था परंतु हम न डरने वाले हैं और न ही झुकने वाले हैं क्यूंकि हमारी खबर होती है प्रमाणों सहित सही ही दमदार तथा घोटालेबाजों को उनके सही अंजाम तक पहुंचाने में सार्थक भूमिका निभाने वाली!
यही नहीं उक्त घोटालेबाज कान्ट्रैक्टर कम्पनी के द्वारा दोबारा फिर पत्रकारिता पर हमले के असफल प्रयास किये गये और दोबारा पांच करोड़ की मानहानि का एक और नोटिस उच्च न्यायालय के बकील के माध्यम से दिया गया परंतु हमारी मुहिम जारी रही। यहां यह उल्लेख करना भी उचित है कि पत्रकार घोटालों और भ्रष्टाचारों का भंडाफोड़ ही कर सकता है कार्यवाही नहीं! कार्यवाही करने वाले ही इस देवभूमि में रावण बन निष्क्रिय हो जाते हैं या फिर इन घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों को दुधारू गाय बनाकर पालने लगे तो फिरआसानी से ही यहाँ की व्यवस्था का अनुमान लगाया जा सकता है?
कुछ ऐसा ही अन्य प्रकरणों की तरह इस स्कैम भी हुआ क्योंकि घोटालेबाज बिडर और कान्ट्रैक्ट देने वालों की अप्रत्यक्ष साझेदारी रही है तभी तो टैण्डर पूलिंग और अयोग्य बिल्डर को योग्य बनाने के हथकण्डे व फर्जी बैलेंस शीट्स तथा झूठी परफार्मेंस रिपोर्ट को संलिप्तता के चलते टैण्डर अवार्ड किये जाने से पहले सत्यापित नहीं कराया गया था। यहाँ बताना उचित होगा कि उक्त साहब के चर्चित ईशान कंपनी के चेयरमैन मिमानी से एस फर्म के डाइरेक्टर आशीष से पिता पुत्र और पत्नी व माता के संबंध हैं तथा दोनों कि कंपनियाँ नियमानुसार टेण्डर में पूलिंग के कारण भाग नहीं ले सकती बल्कि यहाँ तो चीफ/एमडी साहब का बेटा भी उसी ईशान कंपनी में तब था बताया जाता है और उसके खाते में लेनदेन भी उजागर हो चुका है?
देखिये अब पिटकुल के द्वारा लिखा गया पत्र ….
ऐसा ही कुछ अब पिटकुल अब उजागर हुआ जब ईशान कंपनी से विवाद के चलते छानबीन में इस घोटाले कि भी झलक वर्तमान अधिकारियों को दिखाई दी और फर्जीवाड़े में फेक डाक्यूमेंट व बैलेन्सशीट्स जिस तथाकथित चार्टेड एकाउंटेंट कम्पनी से सत्यापित कराकर दी गयी थी बैंक गारंटी सहित वह भी संदिग्ध पाई गयी तथा पर्फार्मेंस सार्टिफिकेट भी फेक पाये गये। यह भी खुलासा इसी फर्म के एक चार्टेड एकाउंटेंट फर्म ए.के.राठी एंड एसोसिएट्स, कलकत्ता ने ही अपने पत्रोत्तर में दिनांक 11-09-2023 को लिखे अपने पत्र में पिटकुल से किया कि जो बैलेन्सशीट्स जिस तथाकथित चार्टेड एकाउंटेंट कम्पनी पी के दास की दिखाई गयी है वह फेक है और आशीष ट्रान्स्पावर कि तीन सालों की 2012, 2013 व 2014 की बैलेन्सशीट्स में लाखों कि जगह करोड़ों का ट्रांसजेक्सन गलत दिखाये गये है। ऐसा ही उत्तर WBSETCL कंपनी ने विगत 16-08-2023 को देकर खुलासा किया। किन्तु यहाँ भी पिटकुल के वर्तमान एमडी व अधिकारियों की भूमिका कार्यवाही करने और फर्जीबाड़े की एफआईआर करने में क्यूँ हिचकती नजर आ रही है ? कहीं फिर शासन में बैठे धाकड़ धामी के सिपहसालारों का शांत रहने और दुधारू गाय बनाने का संरक्षण तो नही?
देखिये फेक बेलेन्सेशीट जांच होगी क्या ….
देखिये अब असल बैलेन्सेशीट …. ….
यही नहीं उक्त कान्ट्रैक्टर को LOA No. 1369/ CE(C&P)PTCUL/ TL-12/2013 Worth Rs. 1.14 Crs. & 1479 / CE(C&P)PTCUL/ TL-06/2014-15 LOA dt.15-11-2014 Worth Rs. 3.15 Crs. for realignment & Height extention of Tower as Various Location के कार्य के लिए उक्त फर्म को नियम विरुद्ध फर्जी दस्तावेजों, बैंक गारंटी एवं एक्सपीयरेन्स सर्टिफिकेट आदि सहित फेर्म की तीन सालों की फर्जी बैलेंसशीट्स कई गुना बढ़ाकर दी गयी और बारे न्यारे कर लिए गये थे। इस पूरे मामले में अनेकों और भी गुल खिलाए जा चुके हैं।
देखिए कम्परेटिव चार्ट आफ बैलेंसशीट
मजेदार तथ्य यहां यह भी इसी प्रकरण से सम्बंधित किसी व्यक्ति द्वारा लगाई गयी एक आरटीआई में नियमानुसार समुचित जानकारी फंसने के डर से उपलब्ध न कराकर सूचना आयोग द्वारा लगाया गया पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना इन शातिरों द्वारा भी भर दिया गया ताकि दस्तावेज़ देने से पिंड तो छूटे।
यही नही उक्त प्रकरण में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले तत्कालीन पिटकुल के मुख्य अभियंता (सी एण्ड पी) वर्तमान में यूपीसीएल के एमडी के पद पर आसीन हैं। तभी तो उक्त प्रकरण पर तब तक ऐन-केन-प्रकरेण पर्दा पड़ा रहा जब तक महाशय जी पिटकुल में रहे। और उसके जब सत्ता बदली तो राजनीतिज्ञो की तरह काम का तरीका भी बदलना भी स्वाभाविक ही है बस फिर क्या निकाल सामने आने लगे भ्रष्टाचार के जिन्न।
सूत्रों की अगर मानें तो अब जब इस गड़बड़ झाले और फर्जीवाड़े की जांच नये सिरे से कराई गयी तो सारा मामला प्रमाणिकता के साथ उजागर हो गया और एमडी साहब की संलिप्तता भी पाई गयी।
हांलाकि उक्त मामले को यूं तो पूरी कोशिश दबाने की, की गयी थी परंतु एक गुमनाम चिट्ठी पर पिटकुल के हित में एक अधिकारी अभियंता द्वारा लिए गये संज्ञान से खलबली तो मची थी और वह विस्फोटक पत्रबम रिकार्ड में भी आ चुका परंतु चूंकि साहब तब साहब थे इस लिए दबा रहा!
और अब देखिये फेक सार्टिफिकटेस ….
क्या पिटकुल के एमडी ध्यानी इस फर्जीवाड़े पर ऐक्शनलेते हैं या फिर यूं ही?
…अब देखना यहां गौर तलब होगा कि पिटकुल के उक्त फर्जीवाड़े और घोटाले के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाती है या फिर ब्यूरोक्रेट्स एवं वृहद हस्त के कारण फिर इस खुलासे को दबा दिया जायेगा?