नवादा मित्तल भट्टा भूमि प्रकरण: नकली मालिक कौन व असली मालिक कौन?
दून की कड़क डीएम इस चर्चित विवादित भूमि की अवैध बिक्री पर कब संज्ञान लेकर लगाएगी रोक?
कहीं की जमीन और कहीं पर कब्जा देकर विवादों में और उलझाते इन धूर्तों पर होगा कोई ऐक्शन?
विभिन्न न्यायालयों में एवं हाल ही में चर्चित विवादित भूमि को पाक साफ बता कर रहे गुमराह
क्या इन्कमटैक्स चोरी और ईडी भी इस ब्लैकमनी के खेल पर लेगा संज्ञान?
पोलखोल तहलका की भूमाफियाओं पर पड़ताल -1
देहरादून। एक ओर देश प्रदेश की सरकार व सर्वोच्च न्यायालय लम्वित करोड़ों विवादों के निपटारों को लेकर चिंतित हैं वहीं कुछ स्वार्थी और मौकापरस्त तथाकथित भू-माफिया अवैध रूप से प्लाटिंग करके भोले-भाले पहाड़वासियों को गुमराह करके लूटने और उन्हें विवादों में उलझा निकल लेने के दुष्कृत्य में लगे हुए दिखाई पड़ रहे हैं। यही नहीं इन शातिरों पर लगाम कसने में शासन, प्रशासन और पुलिस भी स्व संज्ञान लेकर कार्यवाही करने में बौनी दिखाई पड़ रही है या फिर उनकी इनसे कोई सांठ-गांठ है? जबकि अभी यहीं नहीं पता इस भूमि का असली मालिक कौन और नकली कौन?
पिछले लगभग दो दशकों से विवादित और जगजाहिर तहसील सदर क्षेत्र अंतर्गत डिफेंस कॉलोनी के निकट नवादा कूटला की मित्तल भट्टे की चर्चित गैर आवासीय लगभग 90-95 भूमि पर जब-तब अवैध रूप से काफी जोर शोर से प्लाटिंग दिखाई पड़ती है और फिर जब इसकी विवादों में उलझी होने की असलियत सामने आती है तब तक इस जमीन पर रुस्तम और चौधरी बन कर आये न जाने कितने सिकन्दर आये मोटी रकम गंवा कर ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सिर से सींग! ऐसा ही कुछ मामला अब एक ऐसे सिकन्दर का सामने आया है जो कभी विधायकी का चुनाव क्या लड़ लिया अपने को पंसारी समझ भोले-भाले पहाड़वासियों को अपने गुर्गों के माध्यम से एक नियोजित साजिश व षड्यंत्र के तहत गुमराह करके फंसा रहा है जबकि जिस भट्टा मालिक मित्तल से वह पूरी जमीन खरीद लेने और सारे विवाद निपटा लेने की निराधार बताते बता ठगयी कर रहा है और उन्हें नये विवादों में उलझाने का दुष्कृत्य कर रहा है वह भी किसी गम्भीर आपराधिक मामलों से कम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इसी भट्टे की भूमि के सम्बंध में मालिकाना हक को लेकर क्रिमनल और सिविल मामले जो काफी चर्चित भी रहे न्यायालयों में लम्वित हैं। तो ऐसे में जब अभी असली कौन और नकली मालिक कौन के फैसले के बिना प्लाटिंग कैसे हो सकती है? क्या इस अवैध खरीद फरोख्त और अवैध प्लाटिंग की आड़ में भूमि को खुर्द-बुर्द कर करोड़ों के बारे न्यारे कर बेच कर निकल लेने वाले इन संदिग्धों वशातिरों पर जनहित व न्यायहित में शिकंजा नहीं कसा जाना चाहिए और रोक नहीं लगाई जानी चाहिए?
इस अवैध और नियम विरुद्ध हो रही प्लाटिंग पर जहां एमडीडीए हाथ पर हाथ धरे बैठा तमाशा देख रहा है वहीं कड़क जिलाधिकारी भी इन संगठित भूमाफियाओं के आगे बौनी दिखाई पड़ रही है तभी तो जनहित में इस विवादित भूमि की अवैध प्लाटिंग और नाजायज़ बिक्री पर रोक लगाने में कतरा रही हैं। बताया तो यह भी जारहा है कि कोई गुलदीप रावत नामक व्यक्ति हवा-हवाई व धौल धप्पा करके बंदूक दूसरों के कंधों पर चलाकर बैकडोर से रोल अदा कर रहा है और लेआउट पास होने व उच्च न्यायालय से मामले निपट गये कि अनर्गल अफवाहें फैलाकर अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता! की कहावत को भी चरितार्थ कर रहा है।
मजेदार बात यहां यह भी है कि उक्त राबत के यहां की वर्ष पूर्व आयकर विभाग के छापेमारी में करोड़ों की रकम बरामद हुई और अब फिर उक्त रावत अपनी ब्लैकमनी मोटी रकम दूसरों के नाम पर लगाकर खेल खेल रहा है तथा आयकर चोरी भी कर रहा है क्या इस करोड़ों के खेल पर ईडी और आयकर विभाग संज्ञान लेगा?
ज्ञात हो कि उक्त भूमि की हाल ही में हुई कुछ खरीद फरोख्त में पंजीकृत हुए बिक्रयपत्रों में की गयी स्टाम्प की लाखों की चोरी का मामला भी लगभग एक माह पूर्व जनसुनवाई के दौरान डीएम महोदया के समक्ष आ चुका है परंतु उक्त गम्भीर स्टाम्प चोरी के मामलों पर भी अधिकारी कुंडली मार कर शांत बैठे नजर आ रहे जिससे इनके हौंसले बुलंद हैं।
यही नहीं उक्त अवैध प्लाटिंग का मामला एमडीडीए के सचिव के समक्ष आया तो उन्होंने इसकी गम्भीरता को न समझते हुए कार्यवाही से कतराते हुए यह तो माना कि यह वास्तव में गलत हो रहा है और कोई लेआउट स्वीकृत नहीं है शीघ्र ही एक्शन लेंगे। मजेदार तथ्य यहां यह भी है कि पन्द्रह दिन बीत जाने के उपरांत भी एमडीडीए द्वारा कोई कार्यवाही का प्रदर्शित न होना भी किसी न किसी जन विरोधी सांठ-गांठ या फिर अनुचित दबाव का होना प्रतीत हो रहा है।
देखना यहां गौरतलब होगा कि गरीबों की मसीहा कहलाने वाली धामी की सरकार की यह कड़क जिलाधिकारी व एमडीडीए इस अवैध व नाजायज़ खरीद फरोख्त और प्लाटिंग पर रोक लगा पाने में सफल होता या फिर भोले-भाले लोगों को लुटते देखेगा….?