आचार संहिता का कर रहे इंतजार, ताकि उसी चहेते टीडीएस कम्पनी को दे सकें फिर और एक्सटेंशन !
टेण्डर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी नहीं दिए जा रहे LOI और एप्रूबल?
बजाए कान्ट्रैक्टर को ब्लैकलिस्ट करने के अधिशाषी अभियंता को ही हटा दिया ?
लाडले कान्ट्रैक्टर टीडीएस की लगातार आ रही थी खराब परफारमेंस !
मेरी लंका में रहना है तो लंकेश लंकेश कहना होगा : एमडी
…आखिर उत्तराखंड में क्यों नहीं आना चाहते अच्छे कान्ट्रैक्टर : गम्भीर सवाल ?
क्या इसमें भी धाकड़ सरकार के धाकड़ शासन की शह है?
(पोलखोल तहलका ब्यूरो)
देहरादून। ऊर्जा विभाग के यूपीसीएल में भ्रष्टाचारियों के समर्थन और संरक्षण देने का एक ऐसा मामला प्रकाश में है जिससे स्वत: ही स्पष्ट हो रहा है कि निगम हित में कर्तब्परायण अधिकारियों को या तो काकस में सम्मिलित होना पड़ेगा और जय हो भ्रष्ट और भ्रष्टाचारियों की कहना पड़ेगा नहीं तो एमडी के कोप भाजन के लिए तैयार रहना ही पड़ेगा!
ज्ञात हो कि यूपीसीएल के घरेलू व छोटे कामर्शियल उपभोक्ताओं के मीटर रीडिंग और बिल प्रीपेयरिंग व वितरण के कामों में कान्ट्रैक्टरों द्वारा व्रती जा रही अनियमितताओं और लगातार गिर रहे राजस्व को लेकर मिल रही शिकायतों के पीछे कोई और कारण नहीं है बल्कि यूपीसीएल के ही प्रबंधन का इन कान्ट्रैक्टरों के साथ गहरा नाता दिखाई पड़ रहा है। हांलांकि इस सम्बंध में अनेकों समाचार भी प्रकाशित हो चुके हैं किन्तु ये धाकड़ पन की झूठी शेखी बघारने वाला धाकड़ धामी सरकार का धाकड़ शासन है जिसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी परिणामस्वरूप बद से बद्तर स्थिति और उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बने ये एमडी के चहेते कान्ट्रैक्टर इतने निडर और वेखौफ हो गये हैं कि वे सम्बंधित डिवीजन के अधिशाषी अभियंताओं को ठेंगे पर रखने से भी नहीं चूकते।
ज्ञात हो कि जिस टीडीएस कम्पनी को तीन साल के लिए पूरे उत्तराखंड का बिलिंग प्रीपेरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम दिया गया था उसे पिछले तीन वर्षों से निरंतर अनुचित रूप से टाईम एक्स्टेंशन बार बार देकर उत्तराखंड टेण्डर प्रीक्योरमेंट पालिसी की भी धज्जियां उड़ानें का दुष्कृत्य किया जा रहा है। यही कारण है कि ऊर्जा निगमों में अच्छे कान्ट्रैक्टर और कम्पनियां टेण्डर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण भाग लेना पसंद नहीं करते। तभी तो उधम सिंह नगर (रुद्रपुर) डिवीजन में केवल दो ही कान्ट्रैक्टर्स के द्वारा बिड डाली गयीं थी तथा उनकी भी प्राईज बिड खुल चुकी हैं बताया जा रहा है और वे भी अभी एमडी महोदय की कृपा एप्रूबल के लिए प्रतीक्षारत हैं इसी प्रकार देहरादून शहर, देहरादून ग्रामीण, हरिद्वार एवं रुड़की की टेण्डर फाईलें भी एमडी के यहां धूल चाट रही हैं या फिर सीधे सीधे यह कहा जाये कि चुनाव आदर्श आचार संहिता लगने का इंतजार जानबूझकर किया जा रहा है ताकि अपने उसी चहेती टीडीएस कम्पनी को एक बार फिर समूचे उत्तराखंड के चले आ रहे कान्ट्रैक्ट को एक्सटेंड किया जा सके और काली कमाई के चक्कर में जन-धन सहित उपभोक्ताओं का गला एक बार फिर घोटा जा सके।
उल्लेखनीय यहां है कि एमडी महोदय की संदिग्ध कार्यप्रणाली और प्रत्यक्षम किम प्रमाणम के अनुसार एक अधिशासी अभियंता को महज इस लिए डिवीजन से हटा दिया जाना कि उसने इस टीडीएस कम्पनी के विरुद्ध निरंतर अनियमितताओं और व्रती जा लापरवाही पर एक्शन लेने और ब्लैकलिस्ट किये जाने की सिफारिश कर दी। उक्त प्रतिशोधात्मक कार्यवाही तब देखने को मिली जब 11मार्च को अधिशासी अभियंता ने उक्त टीडीएस कम्पनी को इस सम्बंध में पत्र लिखा और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी प्रति सूचनार्थ व ध्यानाकर्षण हेतु प्रेषित की बस फिर क्या बड़े साहब को और एमडी साहब को कहां वरदाश्त कि उनके अपने कान्ट्रैक्टर के विरुद्ध कोई कुछ कहने का साहस कर सके। अंततोगत्वा कोप भाजन का शिकार बेचारा उक्त वफादार अधिशासी अभियंता बना और तत्काल उसका ट्रांसफर कर अन्य डिवीजनों को चुप रहने का संदेश भी दे डाला गया कि मेरी लंका में रहने का तरीका जान जाओ…!
देखना यहां गौरतलब होगा कि धाकड़ धामी का धाकड़ शासन की कुम्भकरणी नींद इस तालिबानी फरमान और आतंकी नीतियों पर चलने वाले यूपीसीएल के एमडी पर एक्शन के लिए खुलती हैं या नहीं अथवा ….?