उत्तराखंड ऊर्जा विभाग के पिटकुल SoR’s व बिडर्स के चहेते 25-26% हाई रेट्स पर अवार्ड प्रकरण!
आचार संहिता से पहले खिला दिया गुल!
चालाक चतुर और धाकड़ धामी शासन ने कर दिखाया अजब का कमाल!
…और आखिर पिटकुल के काकस ने काली कमाई की हवश में बंटाधार कर देश की सुरक्षा को भी डाला खतरे में?
एडीबी फंडिंग के 520 करोड़ के टेण्डरों को हरी झंडी तथा आनन फानन में एलओआई भी कर दिए जारी!
पहले से तैयार उद्घाटन का पत्थर लिख गया गोलमाल की इवादत!
तुम्ही एचपीसी, तुम्ही हो टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के सर्वेसर्वा और तुम्हीं सचिव ऊर्जा : फिर इस उछल कूद का क्या औचित्य !
बोर्ड ने अपनी तो बचाई और इनकी गर्दनें फंसा दिलाई अवैध और मनचाही SOR’s को हरी झंडी!
…और अभी बीओडी की मुहर भी नहीं लगी, आधीनस्थ एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को ही मान लिया जाना कहां तक उचित?
(पोलखोल तहलका ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। धाकड़ धामी के धाकड़ शासन का ऐसा अजब गजब एक और कारनामा फिर प्रकाश में आया हैं जिसमें इस सरकार के चतुर, चालाक ब्यूरोक्रेट्स ने ऐसा गुल खिलाने में महारथ हासिल की है जिसका ख़तरनाक खामियाजा सीमांत प्रदेश उत्तराखंड के साथ साथ पूरे देश को भी भुगतना पड़ सकता है?
मजेदार बात यह है कि इस प्रकरण से सम्बंधित समाचारों पर जहां एक ओर पिटकुल बोर्ड ने 88वीं बैठक में विगत दिनों गौर फ़रमाया और हमारे समाचारों पर संज्ञान लेते हुए जिस अनुचित और पिटकुल मैनुअल व उत्तराखंड प्रीक्योरमेंट मैनुअल विरोधी 25 से 26% अधिक रेट्स पर कभी न मानी जाने वाली SoR’s पर PIC कमेटी गठित कर पुनः रिपोर्ट बोर्ड की मीटिंग में रखने के निर्देश “Due diligence…” के सख्ती के साथ जारी कर चुका था उन्हीं पर भीतरघात करने वाला ऊर्जा विभाग का एक जगजाहिर आला अफसर की उधेड़-बुन में पूरी तन्मयता से लगी दिखाई पडी। दूसरे के कन्धों पर बन्दूक चलाने के प्रयासो में पहले वरिष्ठ आईएएस अफसरों की हाई पावर कमेटी की मुहर लगवानी चाही परंतु जब वह फायर भी मिस हो गया तो अपने ही आधीनस्थ रहने वाली टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के कंधों पर बन्दूक चलाने में आखिर सफलता तीन दिन पूर्व हासिल कर ही ली गई और पहले से ही मन बना चुके स्वार्थी इरादो को अमलीजामा भी पहना दिया गया तथा विवादित एसओआर जो पहले सेनियम विरुद्ध थी के बाबजूद बिडर्स के देते 25-26% रेट्स पर खेल खेल कर LOI जारी कर दिये गये।
सूत्रों की अगर यहां यह भी माने तो इस पूरे खेला में भारी-भरकम काली कमाई और कालीबाड़ी का ऐसा खेल में जिसमें तथाकथित रूप से चर्चित लगभग दो सौ करोड़ का गोलमाल सम्भावित है तभी तो इसमें पूरा का पूरा अमला भ्रष्टाचार में संलिप्त दिखाई पड़ रहा है और ऐन-केन-प्रकरेण लगा हुआ था और जो इसके पक्षधर नहीं थे तथा पहले ही लिफाफे का मजमून भांप चुके थे और इनके दबाव में न आकर स्तीफा देकर किनारा कर चुके हैं। इन स्तीफा देने वालों में पूर्व वरिष्ठ आईएएस बीपी पाण्डे और पीजीसीआईएल के सेवानिवृत्त टेक्निकल डायरेक्टर आर पी ससमल हैं।
मजेदार बात यहां यह भी बीओडी में ससमल साहब के स्तीफे के बाद बनाई गयी एमडी, यूपीसीएल की अध्यक्षता वाली कमेटी की 20 फरवरी की रिपोर्ट के पश्चात उक्त प्रकरण हंगामे व अन्तर्द्वन्द के कारण उक्त SoR’s प्रकरण और टेण्डर मामला एक बार फिर पांच सदस्यीय हाई पावर कमेटी के कंधों पर बंदूक़ रखकर चलाने का असफल प्रयास किया गया।
असफल प्रयास इस लिए कि हाई पावर कमेटी के वरिष्ठ एक दो आईएएस सदस्यों ने मामले की दाल में काला मानते हुए विरोध जताया और तब उक्त मामले को टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी का ठप्पा लगवाने और उन्हीं की गर्दन फंसाने के लिए गुप-चप तुगलकी फरमान के साथ एक ही दिन में जैसी चाहते थे वैसी ही रिपोर्ट लगवा क्लीयरेंस पिटकुल को बिना बोर्ड की एप्रूबल के ही आनन फानन में भिजवा दिये जाने का बात भी सामने आ रही है।
प्रकाश में आ रहा है। इस बात का प्रमाण व अंदाजा पिटकुल के एमडी व सी एंड पी की उस फुर्ती चुस्ती से भी लगाया जा सकता है कि लेटर आफ इंटेंट (LOI) भी गत दिवस जारी हो गये और रहा सवाल उद्घाटन के पत्थर का, वह तो पहले से ही तैयार करा लिए गए थे जोभी पूर्व सुनियोजित घोटाले की परत अपने आप में ही खोलरहा है।
उल्लेखनीय तो यह भी है कि एडीबी फंडिंग वाले जीआईएस सब स्टेशन सहित टेण्डर सं L – 4402 (UCRPSDP) pakg -1 and PKG -2 जो लगभग क्रमशः 85 करोड़ और तीन सौ करोड़ ग्यारह करोड़ तथा 123 करोड़ के टेण्डरों सहित कुछ अन्य टेण्डरों के LOI जारी कर दिए गये।
बताया जा रहा है कि जो विवादित एसओआर पहले से ही नियम विरुद्ध थी उस पर पुनः समीक्षा किए ही बिडर्स के चहेते रेट्स जो 25-26% अधिक चाहे जा रहे थे और उसके आनुरूप रेट्स की अनुचित एवं अमान्य मैथड से दिए जाने की विशांत बिछाई जा चुकी थी जबकि एल-1 बिडर्स को बिड खुलने के बाद चहेते रेट्स पर अवार्ड करने की जोर आजमाईश चल रही थी और सांठ-गांठ के चलते उल्टा पहाड़ा पढा कर उल्लू सीधा कर लिया गया? जबकि 10% से निकल रेट्स हो हीनही सकते। ऐसा ही एक मामला 2017 में बोर्ड के समक्ष आया था जिसमें रेट्स केवल 14% ही अधिक थे किन्तु बोर्ड ने नहीं माना और मांग को निरस्त कर दिया था। किन्तु तब टीएसआर सरकार थी अब धाकड़ धामी की सरकार है। वैसे ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि टेण्डर प्रक्रिया को ही उलट पलट दिया गया और बिडर्स के अनुरू रेट्स पर टेण्डर अवार्ड करने के लिए पूरा धामी शासन लगा हुआ दिखाई पड़ रहा है।
मामला यह चिंतनीय ही नहीं है कि जन-धन और कर्ज की रकम की बर्वादी का नहीं असल मामला तो देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता का है जिसको भी बलाए ताक रख दिये जाने का है। जबकि केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय के नीतिगत फैसलों को नजर अंदाज करने के दुस्साहस की है और वह भी पड़ोसी चाइना जैसे देश की फर्म से चहेते बिडर की जेबी से सम्बद्ध है!
चर्चाओं पर अगर गौर फ़रमाया जाए तो इस बड़े खाईबाडी के टास्क को पूरा करने के पीछे किसी के एक्सटेंशन का पत्र भी रहस्य बना हुआ है। जिस कारण करो या मरो की स्थिति में कुछ छोटी गर्दनें सिसकियां ले रही हैं? इसे अफवाह समझा जाए या हवा हवाई अथवा हकीकत , ये तो भक्त ही बताएगा।
देखना यहां गौर तलब होगा कि फौजी परिवार से सम्बंधित धाकड सीएम की नाक के नीचे खेले जाने वाले इस महा खेल पर अब क्या रुख देखने को मिलता है या फिर “बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया” वाली कहावत ही चरितार्थ होगी या फिर कोई देश हित में कड़ा एक्शन…?