घोटालों के शहंशाहों की चरागाह बना उत्तराखंड!
जो खाई बाड़ी व घोटालों में सबसे आगे उसी यूजेवीएनएल के एमडी को गुपचुप दिया गजब का दो वर्ष का सेवा विस्तार?
ये हैं दूरदर्शिता : सारे नियम कानून को ठेंगा दिखा बताया कि इनके बिना परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकतीं!
… पीक सीजन में अपनी कमाई के चक्कर में मेंटीनेंस का बहाना और पावर जनरेशन को पलीता लगाना!
चार और पांच गुनी कीमत पर बिजली खरीद उपभोक्ताओं पर थोपने का घिनौना षड्यंत्र?
यूपीसीएल को मंहगी बिजली खरीदवाने और उपभोक्ताओं को लुटवाने का नायाब फार्मूला!
विद्युत नियामक आयोग मूकदर्शक बना देख रहा तमाशा!
…और सचिव ऊर्जा की कृपा से मिल रही जलविद्युत निगम को आसानी से टरबाईन क्लोजर की अनुमति?
व्यासी, छिबरो, ढालीपुर और ढकरानी व कुल्हान पाॅवर हाऊस के क्रियेटिव जनरेशन लाॅस का खेल!
यूपीसीएल को निरंतर सैकड़ों करोड़ के घाटे में ढकेलने वाले बेधड़क एमडी पर आखिर किसकी मेहरबानी?
(ब्यूरोचीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाली इस देवभूमि में ऐसे ऐसे दानवों को बजाए सजा के प्रोत्साहन और संरक्षण दिया जायेगा या फिर उन्हें चमत्कारी बताकर कि इनके बिना परियोजनाएं पूरी नहीं होगी के नाम पर दो दो वर्ष का अधिवर्षिता विस्तार ही मात्र नहीं दिया बल्कि चिरंजीवी और अद्वितीय भी बना कर ऐसी अद्भुत परम्परा डाली जा रही है जिसका दंश यहां की जनता को लम्बे समय तक भुगतना पड़ेगा!
बात यहां इन्हीं घोटालों के उन शहंशाहों के शहंशाहों की हो रही है जिनके लिए सबसे सुरक्षित और फलने फूलने वाली चरागाह बना हुआ हैयह प्रदेश। यूं तो जिधर भी जिस विभाग में नजर डाली जायेगी तो ऐसे महारथियों और घोटालेबाज और भ्रष्टाचार के शहंशाहों पर नजर अटक ही जायेगी।
इन शहंशाहों में अगर ऊर्जा विभाग पर ही प्रथमदृष्टया नजर डालें तो उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) और उत्तराखंड पावर कारपोरेशन (यूपीसीएल) सबसे आगे की पंक्ति में मिलेगा। यहां का जल विद्युत निगम जो यहां की प्राकृतिक श्रोतों व अनगिनत नदियों से मिलने वाले जल से जल विद्युत का सैंकड़ों मेगावाट उत्पादन कर पूरे देश और विभिन्न प्रदेशों को बिजली मुहैया कराकर खासा लाभ अर्जित करने वाला निगम है।
परंतु इस निगम पर एक ऐसा ग्रहण और काल सर्प योग कुंडली मारे बैठ गया है जो हाथी दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ की कहावत का लाभ उठाते हुए एयरकंडीशंड आफिसों में बैठे ब्यूरोक्रेट्स की आंखों में धूल झोंक कर टोपी और काला चश्मा चढ़ाकर इन्हें टोपी पहनाकर चिरंजीवी और अद्वितीय होने का तमगा ले रहा है। यदि ऐसा नहीं तो वह कौन सी बजह है कि एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली इंजीनियरों की उपलब्धता होते हुए उसी भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज एमडी को आदर्श चुनाव आचार संहिता के ठीक पहले बिना आवश्यकता और उपयोगिता के ही 30 जून को सेवा निवृत्त होने वाले एमडी को दो वर्ष का सेवा विस्तार कुछ परियोजनाओं के पूरी करायें जाने का बहाना लेकर अधिवर्षिता आयु 60 से बढ़ा दी गई। ऐसा लगता है इस एमडी के होने पर यूजेवीएनएल चल सकेगा अन्यथा ठप्प हो जायेगा?
स्वयं ही देख लीजिए अद्भुत एवं अद्वितीय आदेश….
जबकि सत्यता यह है कि यही वह एमडी है जिसके कार्यकाल पर अगर गम्भीरता और गहनता से नजर डाल जांच कराई जाए तो लाखों के नहीं बल्कि सैंकड़ों और हजारों करोड़ के घोटाले और काले कारनामे ओपन इन्क्वायरी “खुली जांच” में खुद व खुद सामने आ जायेंगे। रहा सवाल इसकी बुद्धिमत्ता और कुशल प्रबंधन का जिस पर इस एमडी को अद्वतीय होने का तमगा दिया जा रहा है का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस जलविद्युत निगम में सदैववर्ष में एक बार सर्दी के मौसम में कम पानी के समय पावर हाऊस और टरबाईनों और मशीनों के मेंटीनेंस व रखरखाव का कार्य कराया जाता रहा है परंतु उस परिपाटी से असंतुष्ट बड़े पेट वाले एमडी ने वर्ष में दो बार मेंटीनेंस कराने और जमकर लूट मचाना प्रारम्भ कर दिया तथा शासन में बैठे आला अफसरों की आंखों पर भी काला चश्मा पहनाकर मनचाही अनुमतियां लेकर खेल खेला जाने लगा। मजेदार बात यहां है साल में दो बार मेंटीनेंस और रिपेयरिंग के काले कारनामे का यह परिणाम है कि विगत लगभग तीन माह से ब्यासी पावरहाउस की लगभग पचास मेगावाट पावर जनरेशन ठप्प पड़ा है तथा विगत लगभग पन्द्रह दिनों से ढालीपुर, ढकरानी, कुल्हान और छिबरो पावरहाउस में आधी टरबाइनें और मशीनें ठप्प पड़ी हैं जिनके कारण पीक हावर्स में लगभग सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन कम हो रहा है। यहीं नहीं व्यासी जीआईएस सिस्टम ठप्प हो जानें से लगभग पचास मेगावाट जो जनरेशन लास हो रहा है और उससे व्यासी झाझरा और व्यासी शेरपुर पावर चैनल बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं तथा पीजीसीआइएल को ट्रासमिट होने वाली यह लाईन कभी भी अतिरिक्त लोड पड़ने से या जर्क पड़ने से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण ग्रिड को ठप्प कर सकती जिससे उत्तराखंड में ही नहीं वरन प्रदेश में अनेकों जगह विद्युत संकट छा सकता है। छिबरो पावर हाऊस में डेढ़ माह तक बोल्ट टूटे पड़े रहने से उत्पादन ठप्प रहा।
उल्लेखनीय है कि जल-विद्युत निगम की लापरवाही व निकम्मेपन एवं नाली के पानी में भी चवन्नी की काली कमाई की आदत से यूपीसीएल को पीक हावर्स में खुले बाजार से कई गुना मंहगी दरों पर बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं और आद्योगिक उपभोक्ताओं को आपूर्ति करनी पड़ेगी। आप इसे कोई असामायिक उत्पन्न समस्या न समझें इस समय यहां की नदियों में अथाह पानी की उपलब्धता है और यदि पूरी क्षमता में विद्युत उत्पादन किया जाये तो उत्तराखंड के यूपीसीएल को यूजेवीएनएल से मात्र लगभग ढाई रुपये प्रति यूनिट की दृश्य से बिजली मिले, जिसे इनकी कृत्रिम समस्या से आठ और दस रुपये की दर पर बाहर के विद्युत जनरेटरों से खरीदना पड़ता है। इस मंहगी दरों पर बिजली खरीदें जाने के पीछे यूजेवीएनएल और यूपीसीएल के दोनों होनहार एमडी की परस्पर मिलकर खाई बाड़ी के खेले जा रहे खेल की कहानी है कि एक एमडी द्वारा कृत्रिम समस्या उत्पन करना और दूसरे यूपीसीएल द्वारा मजबूरी बताकर मंहगी दर पर सांठ-गांठ के तहत विद्युत विक्रेता सप्लायर जो भी सम्मिलित हैं, से मनचाही दरों पर बिजली खरीद में गोलमाल किया जाता है अर्थात इस पूरे महाघोटाले का मतलब साफ कि ‘चित्त भी मेरी और पट्ट भी तथा टइ्या मेरे बाप की।’
बात यहीं तक इस खेला की नहीं है एक ओर कृत्रिम विद्युत संकट उत्पन्न करना और दूसरी ओर मेंटीनेंस और इमर्जेंसी रिपेयरिंग का अद्भुत खेल व कमाई?
बताना यहां यह भी उचित होगा कि व्यासी पावर हाऊस पिछले करीब तीन माह से ठप्प पड़ा है और गारंटी पीरियड में हैं उसकी मशीनें परंतु अभी तक सप्लायर कान्ट्रैक्टर के द्वारा उन्हें ठीक न किए जाने अथवा न करायें जाने के पीछे की अदृश्य कहानी भी अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रही है। ज्ञात हुआ है कि पिछले छः माह में यूजेवीएनएल दो बार क्लोजर ले चुका है और चीला पावर हाऊस भी जब तब शट-डाउन मांग चुका है।
मजेदार बात यहां यह भी है विद्युत नियामक आयोग सब कुछ जानते व समझते हुए मूक दर्शक बना तमाशा देख रहा है तथा यूजेवीएनएल के लालीपाप को पर्याप्त मान कर आने वाले समय में मंहगी बिजली खरीद का दंड उपभोक्ताओं पर अकारण ही थोपते रहने को देखना चाहता है तभी तो प्रभावी कार्यवाही और स्व संज्ञान से कतरा रहा है? विद्युत नियामक आयोग का यह कहकर कि “आई आप पर टाली बाप पर” कि शासन यूजेवीएनएल को क्लोजर की अनुमति दे देता है तो वे इसमें कुछ नहीं कर सकते…?
हमारी खबर का हुआ असर : घरों के बाहर लगे मीटरों की भरपाई अब उपभोक्ता से नहीं – नियामक आयोग का आदेश
विगत दिनों विद्युत टैरिफ पर सुनवाई के दौरान जनहित में नियामक आयोग के समक्ष उपभोक्ताओं की परेशानियों और समस्याओं को पुरजोर उठाने वाले ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता के द्वारा उपभोक्ताओं के घरों के बाहर यूपीसीएल के द्वारा लगायें गये मीटरों की देखरेख व क्षतिग्रस्त का जिम्मा और उसका खामियाजा उपभोक्ताओं पर थोपे जाने को लेकर सवाल उठाया गया था और प्रमुखता से इस समाचार को अपने पोर्टल में प्रकाशित किया गया था। उक्त पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा तत्काल लिए गए सराहनीय संज्ञान व कार्यवाही को परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को इस अनुचित दंड से राहत और यूपीसीएल को स्वयं रखरखाव करने के कड़े आदेश पारित किए जाने की सराहना भी की गयी है। साथ ही कृत्रिम बिजली खरीद व संकट पैदा करने के काले कारनामे पर संज्ञान लेने की अपील की है।
ये है वह समाचार जिस पर हुआ असर…!
यूपीसीएल के होनहार दबंग व घोटालों के शहंशाह एमडी जब से आये हैं तभी से यूपीसीएल निरंतर घाटे की ओर तीव्र गति से अग्रसर है और अब वह दिन दूर नहीं है डूबकर वीरगति को प्राप्त हो जाए ….!
देखिए पिछले तीन सालों का यूपीसीएल का बढ़ता हुआ घाटा जबकि पड़ोसी हरियाणा 975 करोड़ के लाभ मेंऔर उत्तराखंड का यूपीसीएल 1224 करोड़ की क्षति में 2022-23 मेंजो अब बढ़कर 6हजार करोड़ तक पहुंच गया है ऐसा बताया जा रहा है। यह तब जब गत वर्ष यूपीसीएल कई बार मनमानी दरें बढ़ाकर उपभोक्ताओं पर थोप चुका है।
देखिए आंकड़े बोलते हैं सच्चाई…!
क्या उत्तराखंड के धाकड़ मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव एवं चैयरमैन ऊर्जा इन दोनों महान, अद्वतीय एवं अद्भुत एमडी के काले कारनामों और उनकी महाविनाशक कार्यप्रणाली पर स्व संज्ञान लेते हुए शासन की एक अदृश्य कब्रगाह में दफ़नाये जाने की ओर अग्रसर महत्वपूर्ण घोटालों व कारनामों की फाईलें जिन पर मुख्य सचिव स्तर अथवा शासन स्तर की खुली जांच की फाईलों को जीवनदान मिलेगा या फिर होगी टांय टांय फिस्स या फिर होगी जय होइन शहंशाहों की…?