आय से 40-50 गुनी अधिक सम्पत्ति : कैसे बने ये एमडी और डायरेक्टर डेढ़ सौ से दो सौ करोड़ की नामी – बेनामी सम्पत्तियों के एम्पायर के मालिक?
यूपीसीएल की छल फरेब से हथियाई गयी एमडी कुर्सी कब बनेगी तिहाड़ की चटाई?
क्या अभी भी इस घोटालेबाज और भ्रष्टाचार के दबंग को देगी धाकड़ धामी सरकार सेवा विस्तार ?
पूर्व मुख्य सचिव द्वारा बिठाई गयी खुली जांच किस कब्रिस्तान में करा दी दबंग ने दफन?
करोड़ों करोड़ों के घोटालों की जांच और दोष सिद्ध होने के उपरान्त अब तक एक्शन क्यों नहीं?
चर्चित रिश्वत-सीडी लुप्त प्रकरण का पूर्व महाबली एम.डी., पिटकुल व यूपीसीएल के समय से अब तक अनेकों मामलों में पाया जा चुका है दोषी ये डायरेक्टर और फिर हुआ था निलम्बित !
सीनियर डायरेक्टर से अभद्रता व सहायक महिलाकर्मी से कदाचार पाये जाने में एमडी अनिल महाशय पर कार्यवाही शून्य क्यों !?
वरिष्ठ आईएएस अफसरों की संस्तुतियां व टिप्पणियां भी इसके आगे हो रही हैं साबित बौनी ?
पीएमओ, सीवीसी व ईडी से की जायेगी शिकायत एवं कठोर कार्यवाही की अपील !
(ब्यूरोचीफ सुनील गुप्ता की भ्रष्टाचार की मुहिम पर एक और खास पड़ताल)
नई दिल्ली/ देहरादून। देश और प्रदेश के विकास और प्रगति में भ्रष्टाचार और घोटालों की काली कमाई की दीमक किस तरह जन-धन को चट कर जाती है उसका ज्वलंत उदाहरण ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाली देवभूमि उत्तराखंड के एक ऊर्जा निगम यूपीसीएल में देखने को मिलता है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदी की भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाई जा रही मुहिम को समर्पित एक और हैरतअंगेज खुलासा !!
गत दिवस 28 मई को देश की राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित “लेवर वेलफेयर फाउण्डेशन” के सचिव व एडवोकेट एवं जर्नलिस्ट सुनील गुप्ता (ब्यूरो चीफ polkhol.in न्यूज पोर्टल) ने नेशनल मीडिया को सम्बोधित करते हुए देवभूमि उत्तराखंड के एक ऊर्जा निगम, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार और उनके अभिन्न सहयोगी व अधीनस्थ रहे डायरेक्टर (परियोजना) अजय अग्रवाल की आय से दर्जनों गुना अधिक सम्पत्तियों के विशाल एम्पायर और सैंकड़ों हजारों करोड़ के काले कारनामों का खुलासा करते हुए हैरतअंगेज तथ्य उजागर किए।
प्रेस व मीडिया को सम्बोधित करते हुए बता कि किस तरह ये चालाक चतुर अधिकारी अनिल कुमार यूपीसीएल के जिम्मेदार एमडी के पद को नियम विरुद्ध धोखेबाजी और छल से हथियाए बैठा है और इसके अभिन्न अंग व साथी निदेशक (परियोजना) अजय अग्रवाल बैठे हैं ये दोनों महाशय जो अनेकों करोड़ों-करोडो के घोटालों एवं भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त पाये जा चुके हैं व इनके विरुद्ध अनेकों प्रकरणों में शासन स्तर से जांचों परान्त होने वाली दंडात्मक कार्यवाही आज एक लम्बे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं जिससे इनकी दबंगई और ताकत का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।
एक ओर विकास में बाधक दूसरी ओर भ्रष्टाचार की करोड़ों- करोड़ों की काली कमाई से बने इनकी लगभग पचास से अधिक डेढ़ सौ से दो सौ करोड़ के नामी बेनामी सम्पत्तियों का विशाल एम्पायर हैरत अंग्रेज है। विभिन्न नामों से खरीद फरोख्त की गयी इन सम्पत्तियां में इनके ऐसे ऐसे काले कारनामे भी इसमें छिपे हैं जिनसे पता चलता है कि ये दोनों किस तरह सरकार, शासन, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और प्रधानमंत्री के “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” विभाग की आंखों में धूल झोंकने में माहिर हैं।
बात यहां यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड) के वर्तमान एमडी अनिल कुमार की हैं जो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद में वर्ष 1987-88 में सहायक अभियन्ता के पद पर लगभग बीस हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन सरकारी सेवा में आए और तत्पश्चात उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद से अब तक यूपीसीएल और पिटकुल में मुख्य अभियंता स्तर-1 तक सेवारत हैं तथा आगामी तीन चार माह में सेवा निवृत्त होने वाले हैं।
अगर मान लिया जाये कि इन महाशय के सेवाकाल के 35 वर्षों का औसत वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह भी रहा हो तो भी अब तक की कमाई और धन संग्रह (बचत) सहित चार- पांच करोड़ से अधिक नहीं हो सकती वह भी तब जबकि पूरा वेतन बचा लिया गया हो और परिवार सहित इनका रहना, खाना, पीना आदि सब खर्चे किसी दूसरे के सिर पर होते तो भी अब तक यह रकम और चल-अचल सम्पत्ति चार से पांच करोड़ की ही होनी चाहिए परंतु यहां इस एमडी महाबली अनिल कुमार उर्फ अनिल कुमार सिंह एवं अनिल यादव ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ की सम्पत्तियां जो अभी तक सामने आईं है कहां से और कैसे जुटाली गयी देहरादून के अतिरिक्त भी अन्य शहरों में भी इनकी सम्पत्तयों का पता भी गहनता से पड़ताल में चल सकता है।
मजेदार बात है कि इसके अभिन्न साथी सहायक अजय अग्रवाल की भी कमोवेश यही स्थिति है अर्थात इन दोनों ने मिलकर लगभग दो सौ करोड़ से अधिक सम्पत्तियां कहां से और कैसे जुटा ली यही नहीं इनके इस एम्पायर में उतरेगा और एक अन्य संस्थान के सेवानिवृत्त साथी व वरिष्ठ पदों पर आसीन रहे अधिकारी भी सम्मिलित देखें गये हैं। इनकी अकूत सम्पत्तियों में अपने परिजनों के नाम का तो प्रयोग मनमाने ढंग से किया ही गया है इसके अतिरिक्त काली कमाई के अपार धन को किसी अपने व साझे के व्यवसाय में भी जिस तरह से इन्वेस्ट किया गया है वह तरीका भी आश्चर्य करने वाला है।
उल्लेखनीय तो यहां यह तथ्य भी है दोनों महाशयों के द्वारा सेवा नियमावली का भी जम कर उल्लंघन ही नहीं किया गया बल्कि बिना अनुमति के ही एक एम्पायर खड़ा कर लिया है ज्ञात हो कि इन एमडी साहब ने अपनी सम्पत्तियों की जो घोषणा अपने विभागीय निगम में की है उसमें सरासर सफेद झूठ बोलने से भी संकोच नहीं किया गया क्योंकि दबंगई तो बरकरार है। माननीय द्वारा जिन क्षणिक सम्पत्ती का ब्योरा दिया गया है उसमें देहरादून की मात्र चार और लखनऊ की तीन सम्पत्तयों की ही घोषणा दिनांक 11-05-2021 को की गयी है जबकि जनाब लगभग-लगभग 35 से 40 देहरादून की ही नामी बेनामी संपतियों की खरीद फरोख्त कर चुके थे तथा इनके अभिन्न अंग अजय अग्रवाल भी लगभग 15 से 20 सम्पत्तयों की खरीद फरोख्त जमीनों के कारोबार में संलिप्त पाये जा चुके हैं। यहीं नहीं यह सिलसिला निरंतर जारी है और अपने वेटे- बेटियों व इन्हीं की करनी से स्वत: स्पष्ट इनकी कुवांरी / पत्नी एवं दामाद व रिश्तेदारों एवं ससुर के नाम का भी भू व्यवसाय जारी है।
माननीय के बेटे यशराज के नाम से किया जा रहा बड़े-बड़े ब्रांडिड ह्यूज लगभग आधा दर्जन शोरूम को लाखों रुपये प्रतिमाह की लीज रेंट पर करोंड़ों के निवेश से रिषीकेश और देहरादून में लिया जाना तथा उनकी आड़ में काले सफेद के अजब खेल का खेला जाना भी हैरत अंग्रेज है जबकि वहीं वेटा यशराज वर्ष 2015-16 में पिटकुल के ही एक कान्ट्रैक्टर कम्पनी मैसर्स आशीष ट्रांसपावर में नौकरी करके 40-45 हजार रुपये की सैलरी हासिल करता पाया गया था। जिसका प्रमाण पिता पुत्र के ज्वाइंट बैंक एकाउंट में देखने को मिला है।
इसी प्रकार दामादों और यादव रिश्तेदारों व बुजुर्ग पिता (मोक्ष विलीन) के नाम से देहरादून की महंगी कालोनी पनाष वैली में लाखों और करोड़ों की कीमत के लक्जरी तीन तीन फ्लैट भी खरीदे गये हैं। माननीय इतने चालाक हैं कि ईडी और आयकर विभाग व सरकार को धोखा देने के लिए अपने आपको व बेटियों को जौनपुर का पता एवं पत्नी माला सिंह को ससुर की पुत्री दिखाकर अनेकों बेशकीमती सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त का कारोबार किया गया है।
उल्लेखनीय है कि डायरेक्टर महाशय के विरुद्ध पूर्व एमडी के कार्यकाल में यही एमडी महाशय पिटकुल के तमाम प्रकरणों की जांचों में दरोगा बन बैठे थे और क्लीन चिट देकर अपने संलिप्त डायरेक्टर को बचाने का पूरा प्रयास भी कर चुके हैं यही नहीं कुछ मामलों में दोषी भी पाये जा चुके निदेशक महोदय और निलम्वित भी रह चुके हैं ! फिर भी ये कैसे बन बैठा डायरेक्टर ?
आश्चर्यचकित हैं कि आई.ए.एस श्री सन्धू, ज्योति नीरज खैरवाल, नीरज खैरवाल, दीपक रावत, सौजन्या जावलकर सहित रंजना राज गुरू जैसे कुछ अन्य कड़क आला अफसरों द्वारा की गयी जांचोंपरान्त संस्तुती व टिप्पणियां भी इस दबंग के आगे धूल चाट रही हैं?
उत्तराखंड के उरेडा में आ चुकी केन्द्र सरकार व एमएनआरई की महत्वाकांक्षी रूफटाप ग्रिड कनेक्टिंड सोलर पावर प्लांट योजना की बहती गंगा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गोते लगा चुके हैं इन महाशय सहित अनेकों ? प्रेस कान्फ्रेंस के अतिरिक्त भी कुछ मामलों का खुलासा इस पड़ताल क्षमें किया जा रहा है।
गौर करने योग्य महत्वपूर्ण कुछ तथ्य ये भी हैं :-
** तभी तो अपने मूल सेवादारी निगम पिटकुल के पीएसडीएफ फंडिड परियोजनाओं और एडीबी फंडिग वाली करोड़ों करोड़ों की परियोजनाओं में टेण्डर पूलिंग व सांठ-गांठ करके चहेतों को नियमों को बलाए ताक रखकर किये गये महाघोटाले और भ्रष्टाचार ?
** चहेते कान्ट्रेक्टर के कान्ट्रैक्ट की लगभग-लगभग सारी शर्तों को नियम विरुद्ध किया वेव आफ ?
** एक ही दिन में बने हनुमान और पुष्पक विमान से सैंकड़ों किलोमीटर दूर के कर दिखाये दूरस्थ स्थानों के असम्भव इंस्पेक्शन ?
** घोटालों में बाधक अपने निदेशक (परियोजना) के साथ धमकी व अभद्रता का दुस्साहस एवं महिला सहकर्मी के साथ आचरण हीनता में दोषी पाये जाने की जांच एवं कार्यवाही की संस्तुती को फिकवाया कूड़ेदान में ?
** शीर्षस्थ आला अधिकारी के द्वारा बिठाई गयी चार गम्भीर प्रकरणों सहित अन्य कारनामों की खुली जांच भी दबंगई व चांदी की चमक में कराई बंद !
** कहां लुप्त हो गयी वरिष्ठ आईएएस अफसरों की संस्तुतियां और उनसे कराई जाने वाली जांचें ?
** पूर्व एमडी रहे कुछ महारथी व अन्य शासन में पकड़ बनाये हुए इसके काक्स के उरेडा व अन्य संस्थान के निवृत्त (पुनः लाइजनिंग / अतिरिक्त रूप से) घुसपैठ बनाए हुए इन घाघ महारथियों का संरक्षण भी इन्हें प्राप्त है?
** और फिर दर्जनों घोटालों में संलिप्तता के बाद पिटकुल का निदेशक यूपीसीएल में कैसे बना एमडी ? नियुक्ति की तीन दिनों के भीतर पूरी करने वाली शर्तों (कम्पंलाईन्स) को आईएएस अफसरों के निर्देशों के उपरांत भी लगभग तीन वर्ष तक नहीं किया गया अनुपालन और झोंकी धूल?
** अधूरी एसीआर और नियुक्ति की शर्तें पूरी किए बिना ही हथिया ली एमडी की कुर्सी और कर डाले करोंड़ों करोड़ों के बारे न्यारे !
*** लगभग तीन दर्जन सम्पतियो का स्वामी होते तथ्यौं पर आधारित मात्र छः सम्पत्तियौं का ही 2021 में ब्योरा दिया !
** दोस्ती रहे सलामत तभी दागी और घोटालेबाज को बनवाया काक्स ने निदेशक (परियोजना) !
*** यूपीसीएल के चर्चित पावर परचेज प्रकरण पर पूर्व सीएम व सचिव रहीं आईएएस राधिका झा के एफआईआर के आदेशों की अनदेखी व 20-22 करोड़ की आज भी बकाया वाले क्रियेट पावर से वसूली पर मेहरबानी का राज !
*** क्या है यूपीसीएल के सैंकड़ों करोड़ के पीर पंजाल और मैसर्स फैब्रिक कान्ट्रैक्टर को कान्ट्रैक्टर न देने की जिद्दोजहद में मनमानी सौदेबाजी न होने और फिर उन्हीं कामों को स्क्रैप कर टुकड़ों में टेण्डर अवार्ड किये जाने की कहानी?
*** यूपीसीएल के द्वारा ऊर्जा प्रदेश के उपभोक्ताओं पर मंहगी बिजली खरीद थोपने की खाई बाड़ी का जल विद्युत निगम के साथ मिलकर खेला जाने वाला महाखेल ! यूजेवीएनएल के असामयिक कृतियां शट-डाउन का नियम विरुद्ध खेला ?!!
*** और अब सेवानिवृत्त और एमडी का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सेवा विस्तार की ललक !
देखने लायक यहां यह होगा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति का शिकंजा प्रदेश की धाकड़ धामी सरकार सहित सीवीसी, पीएमओ किस तरह लेता है या कड़ी संदेशात्मक कार्यवाही करता है ?
क्या इस महान आय से अधिक सम्पत्तियों के विशाल एम्पायर के स्वामियों पर विगत दिनों पेय जल निगम के एक अधिकारी पर उच्च न्यायालय उत्तराखंड की मुख्य न्यायाधीश व सहयोगी न्यायधीश की डबल बेंच द्वारा दिए गये मात्र एक ही सम्पत्ति पत्नी के नाम से पाये जाने के मामले में पारित आदेश से सबक लेते हुए प्रभावी दंडात्मक कार्यवाही कर मिशाल कायम करेगी …!
अपने सुधी पाठकों फिर स्मरण करा रहा हूं कि आपका प्रिय यह न्यूज पोर्टल तथ्यों और पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर ही जनहित व राष्ट्रहित में “भ्रष्टाचार पर पैनी नजर” के स्लोगन के साथ चलाई जा रही निष्पक्ष मुहिम की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण खोज आपके समक्ष परोस रहा है कि कभी तो सरकारें जागेगी और ये घोटालेबाज भ्रष्टाचारी अपने सही ठिकाने पहुंचेंगे…!
देखिए कुछ दस्तावेजी प्रमाण…