काले कारनामों और काली कमाई के एम्पायर की पोल खुलने से बौखलाए यूपीसीएल का डायरेक्टर !
ये बिकाऊ, भोंपू चाटुकार मीडिया नहीं है एमडी साहब !!
सच्चाइयों को छिपाते हुए कराई पत्रकार व एडवोकेट के विरुद्ध एफआईआर !
क्या पत्रकार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पूर्व महामहिम राज्यपाल व वरिष्ठ अधिकारियों से ली गई विधिक अनुमति ??
चुनौती : कोई भी फोन काल या धमकी व पैसे मांगने की बात, दम हो तो साबित करे, डायरेक्टर अजय, यूपीसीएल
…तो पुलिस ने दर्ज करने से पहले क्या हर मामलों की तरह जांच करके ही एफआईआर?
धाकड़ धामी के राज में कुछ आला अफसरों की शह व सिफारिश से आनन फानन में दून पुलिस ने बिना जांच पड़ताल के ही किस दबाव में दर्ज की?
क्या दून पुलिस निष्पक्ष जांच करके दूध का दूध, पानी का पानी करेगी और निष्पक्ष भूमिका निभायेगी ?
…अथवा, एक पक्षीय कार्यवाही कर मिशाल कायम करेगी और भ्रष्ट घोटाले बाजों को करेगी बेनकाब ?
भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसनेवाले सीएम धामी व डीजीपी अभिनव कुमार, आईपीएस लेंगे संज्ञान !
निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता में रखता है विश्वास ! न डरेंगे और न ही झुकेंगे और करते रहेंगे खुलासे इन भ्रष्टाचारियों के !
यूपीसीएल का ये डायरेक्टर अजय अग्रवाल कई साल पहले भी पिटकुल ट्रांसफार्मर चर्चित प्रकरण में कर चुका था कलम को खरीदने का असफल प्रयास !
खुली चुनौती : दम है और ईमानदार हैं ये यूपीसीएल एमडी व डायरेक्टर तो खुले मंच पर आकर मुकाबला करे !
ये ‘कलम’ काली कमाई के नोटों की चमक से नहीं ईमानदारी से चलती है !
…अब अपने मातहत बेचारे छोटे अधिकारियों का अनोखा, अजब-गजब का सहारा लेकर चला रहे उनके कंधे पर बंदूक??
( पोलखोल-तहलका ब्यूरो चीफ)
देहरादून। भ्रष्टाचार और घोटालों के गर्त में डूबे इन काली कमाई और अघोषित व आय से अधिक नामी बेनामी सम्पत्तियों के विशाल एम्पायर के शहंशाहों के विरुद्ध देवभूमि उत्तराखंड के शासन में कुछ आला अफसरों के संरक्षण में पल रहे इन यूपीसीएल के एमडी व डायरेक्टर (परियोजना) के विरुद्ध पोल खोल न्यूज पोर्टल व निर्भीक, निष्पक्ष समाचार पत्र”तीसरी आंख का तहलका” के सम्पादक व ब्यूरो चीफ एडवोकेट सुनील गुप्ता के द्वारा “लेवर वेलफेयर फाउण्डेशन” के सचिव की हैसियत से जन-धन की चल रही भयंकर लूट खसोट पर विगत 28 मई को कान्संटीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय मीडिया व पत्रकारों के समक्ष एक प्रेस कांफ्रेंस में खुलासा कर दो और चार करोड़ की लीगल आय वाले इन एमडी अनिल कुमार और डायरेक्टर अजय अग्रवाल की साक्ष्यों व सबूतों के साथ जब पोल खोली और इनके तमाम भ्रष्ट कारनामों सहित इनकी अब तक की कुल आय चार और पांच करोड़ की हैसियत के स्थान पर डेढ़ सौ से दो सौ करोड़ की लगभग 45-50 नामी बेनामी सम्पत्तियों का खुलासा किया था।
सबाल यहां यह भी उठता है कि मान्यता प्राप्त पत्रकार व अधिवक्ता के विरुद्ध उक्त एफआईआर दर्ज़ करने से पूर्व पुलिस ने महामहिम राज्यपाल अथवा वरिष्ठ सक्षम अधिकारी से अनुमति ली या फिर षड्यंत्रकारियों का समर्थन करते हुएसाजिशन पत्रकार और अधिवक्ता शब्द हटवाकर अनभिज्ञ बन कर आनन-फानन में एफआईआर दर्ज कर अपनी दुर्भावना की झलक जाहिर कर दी?
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एडवोकेट सुनील गुप्ता ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गये इस सबाल का कि “क्या और क्यों देहरादून और उत्तराखंड में इतने बड़े मामले उठाये तथा दिल्ली में आकर आवश्यकता क्यों पड़ी?”
उत्तर देते हुए बताया कि इन भ्रष्टाचारियों की दबंगई के आगे उत्तराखंड शासन व सरकार में बैठे कुछ सम्बंधित ब्यूरोक्रेट्स व हाई-प्रोफाइल सफेद पोश इनके आगे बौने सावित हुये है तथा इनकी इच्छा अनुसार ही जांच व कार्यवाही की आईएएस दीपक रावत, सौजन्या जावलकर, नीरज खैरवाल व ज्योति नीरज खैरवाल व रंजना राजगुरु आदि की सस्तुतियों व टिप्पणियों के उपरान्त भी कठोर कार्यवाही का न होना व एमडी के पद पर नियुक्ति की शर्तों को नियमानुसार निर्धारित समय में पूरा न करके एमडी की कुर्सी हथियाते रखने का आखिर कौन सा कारण है यही नहीं पूर्व मुख्य सचिव वरिष्ठ आईएएस श्री संधू के द्वारा जाते जाते बिठाई गयी खुली जांच भी इन दबंगों के कारण दब गयी? यहीं नहीं दून के अधिकांश तथाकथित एवं कारपोरेट मीडिया भी इनकी चांदी की चमक के आगे निष्पक्ष जनहित की पत्रकारिता से परे रहकर नतमस्तक है इस लिए नेशनल मीडिया कंघे समक्ष यह प्रेस कांफ्रेंस की जा रही है ताकि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की “इंडिया अगेंस्ट करेप्शन” की मुहिम में हिस्सा बना जा सके।
ज्ञात हो कि उक्त खुलासे से बौखलाये यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार व डायरेक्टर अजय अग्रवाल ने फिर अपने मातहत छोटे अधिकारियों के कन्धों पर अजब-गजब बंदूक चलानी शुरू कर दी हद तो तब हो गयी जब इनके डायरेक्टर महोदय को और कुछ नहीं सूझा तो धाकड़ धामी सरकार की धाकड़ दून पुलिस का दुरपयोग करने के सच्चाई को छिपाते हुए अनर्गल ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाते हुए एक एफआईआर मुकदमा अपरिध संख्या 121 वर्ष 2024 थाना बसन्त विहार, देहरादून में मिथ्या कथनों पर आधारित दर्ज कराकर दबाव बनाने का कुप्रयास शुरू कर दिया। वहीं अपने सहायक से नोटिस भिजवाने के हथकंडों का जवाब समाचार पत्र के माध्यम से दिया जायेगा!
उल्लेखनीय तथ्य यहां यह है कि दून पुलिस किसी अप्रत्यक्ष (पर्दे के पीछे की अदृश्य पावर) के इतने अधिक दबाव व प्रभाव में आ गयी कि अपनी इस परम्परा को तोडते हुए कि पहले जांच फिर होगी दर्ज एफआईआर परंतु इस सिफारिशी एफआईआर को एक एडवोकेट और पत्रकार के विरुद्ध दर्ज करने में किंचित मात्र भी देर नहीं लगाई और उक्त मामला भा.द.संहिता की धारा 384 व 506 के अन्तर्गत दिनांक 31-05-2024 को पंजीकृत कर लिया।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं न कहीं दून की मित्र पुलिस पर कोई विशेष दबाव व प्रभाव है ताकि षड्यंत्रकारी भ्रष्ट घोटालेबाज निर्भीक लेखनी को दबा सकें और जनहित में आवाज उठाने वाले अधिवक्ता की आवाज को कुचला जा सके।
पोलखोल के ब्यूरो चीफ व सम्पादक सुनील गुप्ता की उत्तराखंड के सीएम धाकड़ धामी व डीजीपी उत्तराखंड पुलिस आईपीएस अभिनव कुमार सहित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईपीएस अजय सिंह से अपील की है वे इस मामले में संज्ञान लेते हुए निष्पक्ष कार्यवाही किये जाने के लिए विवेचनाधिकारी को निर्देशित करें और यदि जांच में एफआईआर गलत पाई जाये तो झूठी एफआईआर कराने वाले तथा पुलिस व कानून का दुरपयोग करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही की जाए। एफआईआर में लगाए गये आरोपों पर जांच में सहयोग में सदैव तत्पर है। सुनील गुप्ता ने यह भी मांग की है कि इस मामले की जांच किसी बड़े स्तर के अधिकारी अथवा किसी मजिस्ट्रेट स्तर व एजेन्सी से कराई जाए क्यों थाना बसँत विहार पुलिस दबाव व प्रभाव में है।
देखना यहां गौर तलव होगा कि शासन, प्रशासन व सरकार और पुलिस इस पर क्या रुख अपनाती है या फिर दमनकारी नीति अपनाती है ?
ये देखिए पत्रकार व अधिवक्ता के विरुद्ध ब्लैकमेलर अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गयी एफआईआर….