क्या घपलेबाजी के सभी टेण्डरों की होगी गहनता से जांच?
असम्भव को कागजी सम्भव कर दिखाने वाले चमत्कार होते है अल्मोड़ा राजकीय मेडिकल कॉलेज में !
ऑयल फ्री भी हो और लुब्रीकेंट भी – है न, कमाल का टेक्निकल स्पेशिफिकेशन!?
आक्सीजन बूस्टर कम्प्रेशर के टर्नकी टेण्डर में अजब का भ्रष्टाचार?
…यही करना था पहले निरस्त क्यों ?
सचिव की आंख में धूल झोंककर चहेती फर्म को LOI जारी करने की फिराक में?
भ्रष्टाचार पर होगी कड़ी कार्यवाही : सचिव स्वास्थ्य डा. आर. राजेश कुमार, IAS
…तो फिर बिना आक्सीजन के कैसे बचाई जायेगी जान?
(पोलखोल – तहलका की खास पड़ताल)
अल्मोड़ा / देहरादून। जब अस्पताल और मेडिकल कॉलेज ही बीमार और अस्वस्थ होंगे तो वहाँ मरीजों को कैसे रोगों से मुक्ति दिलाई जा सकेगी और कैसे इन घोटालों व सांठगांठ के चलते दोगुनी और तिगुनी कीमत मे खरीदे जाने वाले उपकरण और मशीनों से कैसे होगा उपचार? क्योंकि इनकी खरीद फरोख्त में बडे-बडे चमत्कारी गोलमाल हैं।
मजेदार तत्य तो यहां यह भी है कि डबल इंजन सरकार के स्वास्थ्य एव शिक्षा मंत्री के निकटवर्ती क्षेत्र के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक है अल्मोड़ा राजकीय मेडिकल जहाँ छोटी मोटी लूट नहीं बल्कि डबल डबल लूट है अर्थात “माल आधा और कीमत दोगुनी” की परपाटी टेण्डरों में अपनाई जा रही है?
ऐसा ही एक अजीबोगरीब टेण्डर किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। उक्त टर्नकी टेण्डर जिसमें कालेज की ही आक्सीजन की स्थिति बद से बद्तर रखने वाले आक्सीजन बूस्टर प्लांट का है। उक्त टेण्डर के L-1 निविदादाता को आंखमींच कर LOI जारी करने की फिराक में है यही नहीं तकनीकि खामियों को बडी़ चतुराई से छिपाकर नानटेक्निकल उच्चाधिकारियों को गुमराह भी किया जा रहा है तभी तो स्वास्थ्य सचिव व प्रभारी निदेशक सहित सभी अनजान व चुप हैं। हांलाकि कडे़ मिजाज के निष्ठावान व स्वच्छ छवि वाले स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार से जब इस सम्बंध में बात की गयी तो उन्होंने कहा कि यदि भ्रष्टाचार व घोटाले की तनिक भी शिकायत मिली तो कड़ी से कड़ी कार्यवाही होगी। ज्ञात हो कि कालेज प्रबंधन द्वारा एक बारात यह है कि इस दो करोड़ लगभग के उक्त टेण्डर को ही इसी वर्ष फरवरी माह में निरस्त भी किया जा चुका है। मजेदार और हैरतअंगेज तथ्य यहाँ यह है कि उक्त निविदा में जो स्पेशिफिकेशन दिया गया है उसमें तकनीकी रूप से “ऑयल फ्री और लुब्रिकेंट दोनो फेसीलिटी के असम्भव स्पेशिफिकेशन वाले आक्सीजन बूस्टर प्लांट” कम्प्रेशर की आपूर्ति होनी है। इस सम्बंध में अनेकों विशेषज्ञों से जब बात की गयी तो उनके अनुसार कम्प्रेशर या तो ऑयल फ्री होगा य फिर लुब्रीकेशन वाला, किसी भी दशा में दोनों स्पेशीफिकेशन का कम्प्रेशर हो ही नहीं सकता। यह तकनीकीरूप से गलत व असम्भव है इस प्रकार साफतौर पर स्वतः ही स्पष्ट है कि इस टेण्डर में भी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और घोटाले का खेल खेला जा रहा है जिसका खामियाजा आने वाले में दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र के इस मेडीकल कालेज और मरीजों को भुगतना पडे़गा!
देखिए टेण्डर….
अजब गजब का टेक्निकल स्पेसिफिकेशन…
इस प्रकरण पर जब मोबाईल पर मेडिकल कालेज के प्रिसिंपल से वार्ता करके पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो माननीय ने जानकारी देने में टालमटोल करना ही उचित समझा!
पहले निरस्त हो चुका टेण्डर…
जानकारी तो यहाँ के हो चुके टेण्डरों में यह भी मिली है कि इसी प्रकार की लाखों और करोड़ों की खरीद व आपूर्ति में “डिमांड कुछ और सप्लाई कुछ” का खेल खेला जा चुका है।
देखना यहाँ गौर तलव होगा कि धाकड़ धामी के राज्य में इस अजीबोगरीब आक्सीजन बूस्टर प्लांट के टेण्डर को निरस्त किया जाता है या फिर सांठगांठ युक्त L-1 को ही LOI लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिया जायेगा? क्या डबल इंजन सरकार इस राजकीय मेडीकल कालेज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कदम उठायेगी और अब तक के टेण्डरों की गहनता से जांच करायेगी!